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तुर्किये ने 'दगाबाजी' से दिया भारत की दरियादिली का बदला! सबक सिखाने के लिए दिए गए ये तीन झटके

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तुर्किये, जिसे भारत ने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया था, अब उसी भारत के खिलाफ पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर रहा है। साल 2023 में जब तुर्किये भीषण भूकंप की त्रासदी से जूझ रहा था, तब ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत भारत ने बिना किसी राजनीतिक लाभ की अपेक्षा के मदद पहुंचाई थी। लेकिन 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद जिस तरह तुर्किये ने पाकिस्तान का खुला समर्थन किया और भारत विरोधी हथियार सप्लाई करने की खबरें सामने आईं, उससे भारत में आक्रोश की लहर है।

भूकंप में भारत बना था सबसे बड़ा मददगार

6 फरवरी 2023 को तुर्किये और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने सब कुछ तबाह कर दिया। इस तबाही के बाद सबसे पहले भारत ही था जिसने ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू कर राहत पहुंचाई। 250 से ज्यादा सैन्य और NDRF जवानों की टीमें, 140 टन राहत सामग्री, 30-बिस्तर वाला फील्ड हॉस्पिटल और आधुनिक मेडिकल उपकरण लेकर भारत की टीमें मौके पर डटी रहीं। भारत की इस मदद को वैश्विक सराहना भी मिली।

फिर क्यों झुका तुर्किये पाकिस्तान की तरफ?

तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोगन 2003 से सत्ता में हैं और तभी से उनका पाकिस्तान प्रेम छिपा नहीं है। एर्दोगन ने अब तक पाकिस्तान के 10 दौरे किए हैं, लेकिन भारत की यात्रा सिर्फ 2 बार की है। 2019 में भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले का तुर्किये ने खुलकर विरोध किया था। अब 2025 में पहलगाम हमले के बाद, तुर्की ने पाकिस्तान को केवल समर्थन दिया बल्कि कथित रूप से 350 ड्रोन और ऑपरेटर भी भेजे।

भारत में उठी बहिष्कार की लहर

तुर्किये के रवैये से नाराज भारतीय जनता ने सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कराना शुरू कर दिया है। अरबपति हर्ष गोयनका ने लोगों से तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा बंद करने की अपील की। MakeMyTrip के अनुसार तुर्किये की यात्रा रद्द करने वालों की संख्या 250% बढ़ चुकी है। वहीं, उदयपुर के मार्बल व्यापारियों ने तुर्की संगमरमर के आयात पर प्रतिबंध की मांग की है।

सरकारी स्तर पर भी सख्ती शुरू

  • JNU ने तुर्किये की यूनिवर्सिटी से MoU किया रद्द
    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने तुर्किये की इनोनु यूनिवर्सिटी के साथ समझौता रद्द करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताया।

  • सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द
    केंद्र सरकार ने तुर्किये की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है, जो भारत के प्रमुख एयरपोर्ट्स पर ऑपरेट करती थी।

  • TRT World का अकाउंट ब्लॉक

भारत सरकार ने तुर्की के सरकारी मीडिया चैनल TRT World के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक किया, हालांकि यह निर्णय कुछ देर में पलटा भी गया।

भारत के पास क्या विकल्प हैं?

राजनयिक दबाव:
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को तुर्की के मानवाधिकार उल्लंघनों और साइप्रस जैसे संवेदनशील मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए। इससे तुर्किये की वैश्विक साख को चोट पहुंचेगी।

दुश्मन का दोस्त:
भारत आर्मेनिया और इज़राइल जैसे तुर्किये-विरोधी देशों से संबंध और मजबूत कर सकता है। साथ ही BRICS और UN में तुर्किये की दावेदारी को लगातार चुनौती दे सकता है।

आर्थिक चोट:
टूरिज्म और व्यापार में कटौती तुर्किये की अर्थव्यवस्था को सीधा झटका दे सकती है। भारत हर साल तुर्किये को हजारों करोड़ रुपए का टूरिज्म और आयात-निर्यात में लाभ देता है, जिसे अब रोका जा सकता है।

क्या एर्दोगन बदलेंगे अपना रवैया?

यह देखना अभी बाकी है कि भारत की जनता और सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों से तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन का भारत विरोधी रवैया बदलेगा या नहीं। लेकिन इतना जरूर तय है कि भारत अब 'दोस्ती' के नाम पर किसी की 'दगाबाजी' बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।

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