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प्रसिद्ध तपोस्थली नैमिषारण्य का इतिहास

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प्रसिद्ध तपोस्थली नैमिषारण्य उतरप्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। इस पवित्र स्थल का धार्मिक और पर्यटन के दृष्टीकोण से कई इतिहास है। नैमिषारण्य का नाम नैमिष नामक वन की वजह से रखा गया। इस स्थान के बारे में बताया जाता है कि यहां पर 88 हजार ऋषियों को वेदव्यास के शिष्य सूत ने महाभारत तथा पुराणों की कथाएँ सुनाई थीं। साथ में ये भी मान्यता है कि जब ब्रम्हाजी धरती पर मानव जीवन की सृष्टि करना चाहते थे, तब उन्होंने यह उत्तरदायित्व इस धरती की प्रथम युगल जोड़ी – मनु व सतरूपा को दिया। तदनंतर मनु व सतरूपा ने नैमिषारण्य में ही 23 हजार वर्षों तक साधना की थी। 

नैमिषारण्य वो स्थान है जहां पर ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपने वैरी देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं। यहां पर महापुराण लिखे गए थे और पहली बार सत्यनारायण की कथा की गई थी। इस धाम का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है। साधु-संतों के इस तपोभूमि के अनगिनत इतिहास हैं। पवित्र ग्रंथ रामायण में ये जिक्र है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ को पूरा किया था और महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश से भी उनकी मुलाकात यहीं पर हुई थी। इस स्थान का महाभारत काल से भी जुड़ा प्रसंग है। बताया जाता है कि युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां पर आये थे। नैमिषारण्य तपोस्थली पर आकर्षण के कई केंद्र है। हनुमान गढ़ी, शिवाला भैरो जी मंदिर, भेतेश्वरनाथ मंदिर, व्यास गद्दी, हवन कुंड, ललिता देवी का मंदिर, नारदानन्द सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, रामानुज कोट, शेष मंदिर, क्षेमकाया मंदिर और अहोबिल मंठ सहित अन्य कई केंद्र हैं।  

अब वैश्विक स्तर पर हो रहा कायाकल्प

प्रसिद्ध तपोस्थली नैमिषारण्य को अब यूपी सरकार वैश्विक स्तर पर कायाकल्प कर रही है। इसी दिशा में अभी हाल के बजट में यहां वेद विज्ञान अध्ययन केन्द्र की स्थापना किए जाने का प्रस्ताव किया गया है।  कुल 2.50 करोड़ रुपये से नैमिषारण्य धाम को विकसित किया जा रहा है। आपको बता दें कि वेद विज्ञान अध्ययन केन्द्र की स्थापना से वेदों एवं पुराणों में संरक्षित ज्ञान को आम जन के बीच ले जाने हेतु अध्ययन कार्य को और अधिक बल मिलेगा। प्रदेश सरकार के इस कदम से यहाँ पर आधारभूत संरचाओं के विकास के साथ साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलना तय है। सरकार का लक्ष्य नैमिषारण्य को वैदिक, आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करना हैं।

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