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योगी सरकार भी यूपी में लागू करने की तैयारी में है UPS, क्या कर्मचारी स्वीकार करेंगे?

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हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दी है। इस निर्णय से केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और उनके जीवन में आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ सुखद भविष्य की नींव रखी जाएगी। इस फैसले के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इस स्कीम की सराहना करते हुए सोशल मीडिया X पर अपनी प्रतिक्रिया दी। माना जा रहा है कि योगी सरकार केंद्र की इस योजना को जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी लागू करने की तैयारी में है।

यूपी में UPS कितनी जल्दी लागू होगी?

मुख्य सवाल यह उठता है कि उत्तर प्रदेश में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को कितनी जल्दी लागू किया जाएगा। योगी सरकार, केंद्र की गाइडलाइन्स का पालन करते हुए, इसे राज्य में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। सरकार के इस कदम से प्रदेश के कर्मचारियों की नाराजगी कम करने और लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा।

लोकसभा चुनाव में हार का एक कारण OPS भी रहा

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार की समीक्षा में यह सामने आया कि पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को लागू न करना भी एक बड़ा कारण था। सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी ने चुनाव परिणामों पर असर डाला। UPS के लागू होने से इस समस्या का समाधान मिल सकता है और योगी सरकार के लिए यह एक गेमचेंजर साबित हो सकता है।

वित्त विभाग की क्या है तैयारी?

वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार, UPS को राज्य में लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विभागीय अधिकारियों ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से स्कीम की डिटेल्स प्राप्त करने का प्रयास शुरू कर दिया है। योगी सरकार का निर्देश मिलते ही इसे राज्य में लागू करने में देर न हो, इसके लिए सभी आवश्यक कागजी कार्रवाई की जा रही है। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, UPS के लागू होने से राज्य पर बहुत अधिक वित्तीय भार नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसमें कर्मचारियों के वेतन से काटी गई 10% अंशदान की राशि का उपयोग होगा।

कर्मचारी UPS को स्वीकार करेंगे या नहीं?

यूपी में UPS लागू करने को लेकर कर्मचारियों के बीच दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा के अनुसार, कर्मचारी इस स्कीम को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना है कि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के वेतन का 10% प्रतिमाह कटता था और उसे रिटायरमेंट के समय ब्याज सहित लौटा दिया जाता था। जबकि UPS में 25 साल की नौकरी पर मूल वेतन का 50% पेंशन देने का प्रस्ताव है, लेकिन कटौती की गई राशि को लौटाने का प्रावधान नहीं है। इसलिए कर्मचारियों की ओर से UPS के प्रति अनिच्छा जाहिर की जा रही है।

राज्यों के पास UPS लागू करने का विकल्प-

पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का मानना है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को भी UPS लागू करने का विकल्प दिया है। चूंकि यूपी में भी भाजपा की सरकार है, इसलिए यहां भी यह स्कीम लागू होगी। इससे राज्य के कर्मचारियों की पेंशन संबंधी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

उपचुनाव से पहले UPS लागू होने की संभावना-

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार UPS लागू करने का निर्णय विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले ले सकती है। इससे सरकार को उपचुनाव में लाभ हो सकता है और कर्मचारी वर्ग की नाराजगी को कम करने में मदद मिलेगी।

यूपी के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को होगा फायदा-

उत्तर प्रदेश में UPS के तहत 10 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी आएंगे। योगी सरकार ने पिछले साढ़े 7 साल में लगभग साढ़े 6 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं। इस स्कीम से प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को लाभ होगा और यह सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

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