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ड्रोन तकनीकी में कानपुर ने लहराया परचम, रक्षामंत्री समेत कई भारतीय, यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियां हुई कायल

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ड्रोन निर्माण में यूपी ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कानपुर  के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की स्टार्ट-अप कंपनी डेटम एडवांस्ड ने ऑटोमेटेड टेप लेइंग और फाइबर प्लेसमेंट तकनीक पर ड्रोन के पुर्जे बनाने शुरू किए हैं। आपको बता दें कि अभी हाल ही में बेंगलुरु में हुए एयर शो में इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया था। एयर शो में मौजूद यूरोपीय कंपनियों ने इस तकनीक में दिलचस्पी दिखाई थी। यहीं नहीं अमेरिका ने भी इस तकनीक को पसंद किया है। पिछले दिनों आईआईटी कानपुर  ने भी एक नैनो ड्रोन का निर्माण किया था। 

रक्षामंत्री ने की थी सराहना 
छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU) की एक स्टार्टअप कंपनी डेटम एडवांस कम्पोजिट ने ड्रोन के कंपोनेंट बनाने का काम शुरू कर दिया है। कंपनी इसे ऑटोमेटेड टेप लेइंग (ATL)  और ऑटोमेटेड फाइबर प्लेसमेंट (APF) टेक्नोलॉजी के आधार पर बना रही है। इस तकनीक पर अब तक चीन, जापान और अमेरिका की कंपनी ही काम करती थी। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी डेटम एडवांस कम्पोजिट के काम की सराहना की थी। इस दौरान हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO), इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने भी डेटम की कंपोनेंट मेकिंग टेक्नोलॉजी को सराहा था। 

ATL और APF टेक्नोलॉजी का होता है इस्तेमाल 
कंपनी के संस्थापक तन्मय तिवारी के अनुसार, एटीएल और एपीएफ तकनीक, कंपोनेंट बनाने के लिए जिन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसमें कंपोनेंट तैयार करने के लिए रोबोटिक मशीन का इस्तेमाल होता है। नई तकनीक के माध्यम से बनने वाले कंपोनेंट अन्य कंपोनेंट के मुकाबले ज्यादा मजबूत होते हैं। बता दें कि डेटम एडवांस नोएडा, दिल्ली, हैदराबाद, बंगलुरु और मुंबई की कंपनियों को ड्रोन की आपूर्ति करते आ रही है। 

क्या है ड्रोन ?  
ड्रोन एक Flying Robot है जिसे मनुष्य के द्वारा रिमोट से कंट्रोल किया जाता है। यह एक मानवरहित Aircraft है। ड्रोन को Sensors और GPS की मदद से कंट्रोल किया जाता है। ड्रोन के चारों तरफ 4 रोटोर लगे रहते हैं जिनकी मदद से ये आसमान की ऊंचाईयों मे उड़ते है। इसे आप साधारण शब्दो मे मानवरहित मिनी हैलिकॉप्टर समझ सकते है।

ड्रोन की उपयोगिता
मौजूदा दौर में ड्रोन का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक्स और विज्ञान के क्षेत्र में हुए विकास के कारण ही संभव हो पा रहा है। इसमें किसान ड्रोन का इस्तेमाल फार्मिंग, फर्टिलाइजर स्प्रे, मिलिट्री, सिक्योरिटी, बॉर्डर सुरक्षा, मॉनिटरिंग, मौसम समेत कई कामों के लिए किया जा सकता है। आपूर्ति, सूक्ष्म वायुयान और यात्री ड्रोन सहित इसके अनेकों प्रकार है। बताया जाता है कि ड्रोन का आविष्कार 1915 में महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने एक आटोमेटिक लड़ाकू विमान के रुप मे किया था जो मानव रहित था। इसे एक जगह से कन्ट्रोल करके दुश्मनों पर हमला कर सकते थे इसी विमान को आधुनिक ड्रोन का आधार माना गया था।

भारत में ड्रोन उद्योग
आपको बता दें कि सरकार 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाने की दिशा में काम कर रही है। सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 तक ड्रोन निर्माण उद्योग का कुल कारोबार ₹60-80 करोड़ से बढ़कर ₹900 करोड़ हो जाएगा। भारत के उभरते ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं बनाई है। इसमें ड्रोन आयात-2022 के तहत सरकार ने ड्रोन घटकों के आयात की अनुमति देते हुए, विदेशी निर्मित ड्रोन के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है। 

भारत में ड्रोन टेक्नॉलॉजी पर कई स्टार्ट-अप कंपनियां काम कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ड्रोन पीएलआई योजना के तहत 23 कंपनियों का चयन किया है। अभी हाल ही में हिमाचल सरकार ने एक ड्रोन नीति को मंजूरी दी है क्योंकि वह पहाड़ी राज्य में विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं के लिए ड्रोन और इसी तरह की तकनीक के उपयोग को सक्षम करना चाहती है। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु सहित अन्य राज्य भी इस दिशा में काम कर रहे है। सबसे महत्वपूर्ण आप बिना परमिशन के ड्रोन को नहीं उड़ा सकते है। आपका ड्रोन नैनो कैटेगरी का है तो आपको ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। वही अगर माइक्रो ड्रोन्स कैटेगरी के अंतर्गत आपका ड्रोन आता है तो आपको उसको रजिस्टर करवाना होगा। दुनिया में बढ़ रही ड्रोन टेक्नॉलॉजी के असर को देखते हुए अब भारत भी कमर कस चुका है। इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले साल दिल्ली 2 दिवसीय भारत ड्रोन महोत्सव का आयोजन किया गया था। इस सम्मलेन में सैकड़ों कंपनियां शामिल हुई थी।

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