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कहीं आप भी तो नहीं खा रहे दिमाग कमजोर करने वाली हल्दी!

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हल्दी, भारतीय रसोई का एक जरूरी मसाला है, जिसकी खुशबू और गहरा पीला रंग हमें तुरंत भारतीय व्यंजनों की याद दिलाता है। खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ, हल्दी को औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। सदियों से इसका उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सूजन कम करने और त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए किया जाता रहा है। लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश से आई एक रिपोर्ट ने हल्दी की शुद्धता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

हालिया रिपोर्ट ने खड़ी की चिंताएँ-

हाल ही में उत्तर प्रदेश से आई एक रिपोर्ट ने हल्दी की शुद्धता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उत्तर प्रदेश में हुए एक सर्वे ने यह खुलासा किया है कि बाजार में बिकने वाली हल्दी की गुणवत्ता पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। ऐसे में एक सवाल यह खड़ा होता है कि हमारी रसोई में मौजूद हल्दी क्या सच में सुरक्षित है?

सर्वेक्षण की चौंकाने वाली बातें-

22 अगस्त से 6 सितंबर के बीच उत्तर प्रदेश में हल्दी के 3028 नमूनों की जांच की गई, जिसमें से 926 नमूनों की रिपोर्ट सामने आई। इन आंकड़ों ने खुलासा किया कि 20% नमूने फेल पाए गए, और 132 नमूने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हुए। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि हल्दी एक ऐसा मसाला है जो लगभग हर भारतीय घर में रोज़ाना इस्तेमाल होता है।

मिलावट की चिंताजनक सच्चाई-

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि 28% नमूनों में खतरनाक मात्रा में लेड (सीसा) और 6% नमूनों में लेड क्रोमेट पाया गया। लेड एक बेहद जहरीला धातु है, जिसका सेवन शरीर के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है। लेड का अत्यधिक सेवन बच्चों के मस्तिष्क विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनकी बुद्धिमत्ता (IQ) में कमी आ सकती है। गर्भवती महिलाओं में इसका सेवन गर्भस्थ शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

नीति आयोग की चेतावनी-

नीति आयोग की रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है कि भारत के कई राज्यों में खाद्य पदार्थों में लेड की मिलावट एक गंभीर समस्या है, और उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर है। इस जांच का एक और चौंकाने वाला तथ्य यह था कि 30% नमूने साबुत हल्दी के थे, जिनमें भी मिलावट पाई गई। साबुत हल्दी, जिसे आमतौर पर शुद्ध माना जाता है, को ज्यादा चमकदार दिखाने और लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उस पर लेड का लेप किया जा रहा है।

स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव-

लेड और लेड क्रोमेट जैसे रसायनों का लंबे समय तक सेवन न केवल स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, बल्कि इससे कैंसर, किडनी की बीमारियां और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। बांग्लादेश में हुए एक अध्ययन में यह पाया गया कि हल्दी में मिलावट की वजह से वहां बच्चों के बौद्धिक स्तर में कमी आई है। यह तथ्य भारत के लिए भी एक गंभीर चेतावनी हो सकता है।

जागरूकता की आवश्यकता-

यह रिपोर्ट साफ तौर पर यह संदेश देती है कि हमें अपने खान-पान की चीजों के प्रति अधिक सतर्क और जागरूक होना पड़ेगा। हमारे भोजन की शुद्धता न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मुद्दा है, बल्कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी भी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो चीज़ें हम खा रहे हैं, वह हमारे स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं।

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