बड़ी खबरें

राजस्थान रीट परीक्षा का परिणाम घोषित, 6.36 लाख अभ्यर्थी हुए पास 3 घंटे पहले राजस्थान, पंजाब के बॉर्डर के पास बसे इलाकों में ब्लैकआउट:जम्मू-कश्मीर में भी हाई अलर्ट 3 घंटे पहले ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने 'राष्ट्रीय एकता रैली' में लिया हिस्सा 2 घंटे पहले बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तानी पीएम ने अमेरिकी विदेश मंत्री से की बातचीत 2 घंटे पहले पाकिस्तान ने जम्मू पर सुसाइड ड्रोन्स से किया हमला, एयरपोर्ट को बनाया निशाना 2 घंटे पहले

रफ़्ता-रफ़्ता मिल रहा है हवा के अदृश्य दुश्मन से छुटकारा, कई शहरों में आई कमी

Blog Image

देशभर के 21 शहरों ने पिछले पांच वर्षों में 40% से अधिक वायु प्रदूषण कम करने में सफलता हासिल की है, जबकि नोएडा सहित 16 शहरों ने पीएम-10 स्तर में 30% तक की कमी दर्ज की है। यह आंकड़े केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत प्रस्तुत किए गए हैं। इस कार्यक्रम में शामिल 131 शहरों में से 95 शहरों ने वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार देखा है।

उत्तर प्रदेश के आठ शहरों की बड़ी सफलता-

सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के आठ शहरों सहित 21 शहरों ने पीएम-10 प्रदूषण में 40% से अधिक की कमी की है।

यूपी के शहर-

  • वाराणसी,
  • बरेली, गाजियाबाद
  • फिरोजाबाद,
  • मुरादाबाद
  • खुर्जा
  • लखनऊ
  •  कानपुर
  • आगरा 

30 से 40% कमी वाले शहर

गाजियाबाद, अहमदाबाद, रायबरेली, जालंधर और अमृतसर जैसे 14 शहरों ने 2017-18 के स्तर की तुलना में 30 से 40% तक प्रदूषण में कमी दर्ज की है। इन शहरों में की गई प्रयासों ने वायु गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

नोएडा और अन्य शहरों में 20 से 30% की कमी-

नोएडा सहित 16 अन्य शहरों ने 20 से 30% तक पीएम-10 स्तर में कमी लाने में सफलता पाई है। इनमें इलाहाबाद, गोरखपुर, वडोदरा और सूरत जैसे शहर शामिल हैं। इन शहरों के वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को सराहा जा रहा है।

दिल्ली में मामूली सुधार

हालांकि दिल्ली उन 21 शहरों में से है, जहां वायु प्रदूषण में 10 से 20% तक ही कमी आई है। एनसीएपी के तहत दिल्ली सहित सभी शहरों का लक्ष्य है कि 2026 तक पीएम-10 प्रदूषण में 40% की कमी लाई जाए। यह योजना शहरों को स्वच्छ और स्वस्थ वायु प्रदान करने के लिए बनाई गई है, और इसके तहत निरंतर प्रयास जारी हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का लक्ष्य

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का उद्देश्य 2026 तक देश के विभिन्न शहरों में पीएम-10 प्रदूषण में 40% की कमी लाना है। इस कार्यक्रम के तहत वायु गुणवत्ता में सुधार करने के लिए विभिन्न योजनाएं और नीतियां लागू की जा रही हैं, ताकि लोगों को साफ और सुरक्षित वायु मिल सके। अब बात आती है कि PM 2.5 और PM 10 स्तर क्या होते  हैं,जो हवा के अदृश्य दुश्मन होते हैं। आइए जानते हैं ये क्या हैं?

PM 2.5 और PM 10 क्या है?

जब भी आप सड़क पर चलते हैं या धूल भरे इलाके में जाते हैं, तो हवा में मौजूद धूल-धक्कड़ को आसानी से देख सकते हैं। यह धूल हमारे गले, नाक और आंखों में घुसकर काफी परेशानी पैदा करती है। लेकिन असली खतरा तो उस अदृश्य प्रदूषण से होता है, जिसे आप देख नहीं सकते। PM 2.5 और PM 10 ये सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण के सबसे बड़े कारक होते हैं। PM यानी 'पार्टिकुलेट मैटर', और 2.5 और 10 इन कणों के आकार को दर्शाते हैं। बड़ी धूल के कण हमारे नाक में जाकर म्यूकस के साथ मिल जाते हैं और हम उन्हें आसानी से बाहर निकाल सकते हैं। लेकिन PM 2.5 और PM 10 के कण इतने छोटे होते हैं कि ये हमारी आंखों से नजर नहीं आते और आसानी से हमारे शरीर के फिल्टरेशन सिस्टम से बचकर अंदर पहुंच जाते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 कितने छोटे होते हैं?

PM 2.5 और PM 10 माइक्रोस्कोपिक यानी सूक्ष्म कण होते हैं, जिन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की आवश्यकता पड़ती है। ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में प्रवेश कर आसानी से नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन्हें समझने के लिए आप इंसानी बाल या रेत के कण का उदाहरण ले सकते हैं। एक बाल की मोटाई लगभग 50 से 70 माइक्रॉन होती है, जबकि एक रेत का कण लगभग 80 से 90 माइक्रॉन का होता है। अब आप सोचिए, PM 2.5 का आकार सिर्फ 2.5 माइक्रॉन और PM 10 का आकार सिर्फ 10 माइक्रॉन होता है, जो बाल और रेत के कणों से भी कई गुना छोटा होता है। ये कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि सीधे हमारे फेफड़ों और रक्तप्रवाह में पहुंचकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

PM 2.5 और PM 10 के स्वास्थ्य पर प्रभाव?

इन सूक्ष्म कणों के शरीर में प्रवेश करने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। PM 10 के कण हमारी श्वसन प्रणाली तक पहुंच सकते हैं, जिससे सांस की बीमारियां जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वहीं PM 2.5 के कण हमारे फेफड़ों के अंदर जाकर रक्तप्रवाह में मिल सकते हैं, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर तक का खतरा हो सकता है।

इनसे कैसे करें बचाव?

वायु प्रदूषण से बचाव के लिए जब भी बाहर निकलें तो मास्क का प्रयोग करें, खासकर उन दिनों में जब वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो। घर के अंदर एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें और जितना हो सके धूल-धक्कड़ वाली जगहों से बचें।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें