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अभिनेत्री जीनत ने किया बड़ा खुलासा, ऐसे देखने जाती थी मूवी

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90 के दशक की दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। वह अक्सर अपने पुराने दिनों को याद करती हैं और सोशल मीडिया पर उससे जुड़ी फोटो और किस्से शेयर करती रहती हैं। हाल ही में उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी फोटो शेयर करते हुए एक बड़ा खुलासा किया है। आपको बता दें कि जीनत अमान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट इंस्टाग्राम पर सिनेमाघरों की दो फोटो शेयर की हैं। एक फोटो उनके युवा दिनों की है, और दूसरी फोटो उनकी अभी की है। दोनों ही फोटो में एक्ट्रेस थिएटर में बैठी हैं। इन तस्वीरों को शेयर करते हुए जीनत अमान ने एक मजेदार किस्सा भी शेयर किया है। उन्होंने बताया कि कैसे वह अपनी ही फिल्मों को देखने और दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए टिकट लेकर थिएटर में जाया करती थीं।

पहले के दिनों का शेयर किया किस्सा 

उन्होंने पहले के दिनों का किस्सा याद करते हुए बताया कि जब वह बोर्डिंग स्कूल में थी उस समय थियेटर में फिल्में देखने के लिए काफी उत्साहित हुआ करती थी। उन्होंने लिखा कि 'रविवार को पंचगनी में मेरे बोर्डिंग स्कूल में फिल्में दिखाई जाती थी। यह हमारे लिए मूवी डे होता था। हम लड़कियां फिल्में देखने के लिए उत्सुक रहती थीं। सिनेमा की दुनिया में जाने के लिए हम लोग अच्छे से तैयार होकर जाते थे। उन्होंने लिखा कि जब मुझे सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार प्यार हुआ, तब मैं लगभग 15 साल की रही होगी। यह द सिल्वर चालिस में एक साहसी पॉल न्यूमैन थे और जब वह स्क्रीन पर आए तो मैं अपने दिल की धड़कन महसूस करने वाली अकेली लड़की नहीं थी। सालों बाद मैं डिजाइन से ज्यादा संयोग से फिल्म इंडस्ट्री में आई। बेशक कैमरे के सामने होने में एक रोमांच है, लेकिन मुझे फिर भी यकीन है कि दर्शकों का सदस्य बनना ज्यादा मजेदार है।

बुर्का पहनकर कर जाती थी थिएटर-

एक एक्ट्रेस के रूप में अपने शुरुआती सालों में मैं अपनी फिल्मों के लिए टिकट खरीदती थी और दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए उन्हें छुप कर देखती थी। अक्सर पहचाने जाने से बचने के लिए बुर्का पहन लेती थी। जब मैं इस तरकीब के लिए बहुत परिपक्व हो गई, तो मैं सिनेमा में देर से प्रवेश करती थी और फिल्म शुरू होने के बाद भीड़ से बचने के लिए जल्दी बाहर निकल जाती थी। इसके आगे उन्होंने लिखा, 'जो तस्वीरें शेयर की हैं वो 40 साल के अंतराल में ली गई हैं। 70 के दशक के अंत में कलकत्ता के एक थिएटर में संकोच और थोड़ा आत्म-सचेत। वहीं, पिछले साल ही रीगल सिनेमा में 'माई' डॉन की स्क्रीनिंग में शोर-शराबा और बेफिक्र होकर प्रदर्शन किया था'।

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