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सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत की खबर, ग्रेच्युटी में हुई इतने फीसदी की बढ़ोतरी

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केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए राहत देने वाली खबर है क्योंकि सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और डेथ ग्रेच्युटी में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। सरकार ने उनके ग्रुच्युटी लिमिट को बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के कई अलाउंस में बदलाव किया गया है। केंद्र सरकार ने मार्च में अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते यानी  डीए में 4 फीसदी का इजाफा किया था, जो अब डीए 50 प्रतिशत हो गया है। 

अब 25 लाख रूपये मिलेगी ग्रेच्युटी-

केंद्र सरकार ने रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और डेथ ग्रेच्युटी की में 25 प्रतिशत का इजाफा किया है, जिसके बाद यह 20 लाख रुपये से बढ़कर 25 लाख रुपये हो गई है।  ग्रेच्युटी की बढ़ाई गई सीमा 1 जनवरी 2024 से प्रभावी होगी। ऐसे में 1 जनवरी 2024 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। 

क्यों दी जाती है ग्रेच्युटी?

ग्रेच्युटी एक ऐसी योजना है जिसके तहत कंपनी अपने को पांच साल या उससे अधिक समय तक लागातार काम करने के लिए देती है। ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी किसी संगठन में कम से कम पांच साल तक लगातार काम करता है तो उसे ग्रेच्युटी लाभ मिलेगा. कर्मचारियों को उसकी ग्रेच्युटी रिटायरमेंट होने पर या उसके इस्तीफे के बाद दी जाती है. हालांकि अगर किसी कंपनी कर्मचारी लगातार पांच साल से कम काम किया है तो, उसे यह लाभ नहीं मिलता है।

क्या है ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972

 ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2018 को लोकसभा द्वारा 15 मार्च, 2018 को तथा राज्य सभा द्वारा 22 मार्च, 2018 को पारित किया गया। इसे 29 मार्च 2018 से लागू कर दिया गया था। ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 उन प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जिनमें 10 या उससे अधिक व्यक्ति काम करते हैं। इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, चाहे सेवानिवृत्ति का कारण कोई भी हो। इसमें शारीरिक विकलांगता या शरीर के महत्वपूर्ण अंग की क्षति होना, यह भी शामिल है। ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 उद्योगों, कारखानों और प्रतिष्ठानों में मजदूरी कमाने वाली आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कानून है।

पहले दस लाख मिलती थी ग्रेच्युटी

7वें केंद्रीय वेतन आयोग के कार्यान्वयन से पहले, सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये थी। 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के कार्यान्वयन के साथ, सरकारी कर्मचारियों के मामले में, अधिकतम सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई थी। 

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