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एशिया कप में 170 मिलियन डॉलर का दबाव! क्या सिर्फ पैसों के लिए होगा भारत-पाक मैच?

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भारत-पाकिस्तान क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं है, यह राजनीति, कूटनीति और करोड़ों डॉलर के आर्थिक हितों से जुड़ा हुआ मसला है। हर बार जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो सबसे पहले सवाल उठता है—क्या भारत को पाकिस्तान से क्रिकेट खेलना चाहिए? और अब एशिया कप 2025 से पहले यह सवाल एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है।

ऐतिहासिक संदर्भ: आतंक से क्रिकेट तक

2008 मुंबई हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ किसी भी द्विपक्षीय सीरीज पर रोक लगा दी थी। तब से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच कोई भी टेस्ट या बाइलैटरल सीरीज नहीं खेली गई। क्रिकेटिंग रिश्ते सिर्फ एशिया कप या वर्ल्ड कप जैसे मल्टीनेशनल टूर्नामेंट्स तक सिमटकर रह गए हैं। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद फिर से आवाज उठी है कि भारत को पाकिस्तान से हर स्तर पर खेलना बंद कर देना चाहिए।

BCCI की मजबूरियां: चार बड़े कारण

हालांकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) चाहकर भी पाकिस्तान का बायकॉट नहीं करना चाहता। इसके पीछे चार ठोस वजहें हैं:

  1. फ्री पॉइंट्स का खतरा – पाकिस्तान का बायकॉट करने का मतलब होगा उसे मुफ्त में अंक देना। ऐसे में पाकिस्तान फाइनल तक पहुंच सकता है और खिताब भी जीत सकता है।

  2. एशियन ब्लॉक की राजनीति – एशियन क्रिकेट काउंसिल में भारत का दबदबा है। अगर भारत बायकॉट करता है, तो पाकिस्तान इस मौके का इस्तेमाल बाकी देशों को अपने पक्ष में करने के लिए करेगा।

  3. ICC की पॉलिटिक्स – ICC में भारत की ताकत एशियाई देशों की एकजुटता पर टिकी है। जय शाह को चेयरमैन बनाने में भी पाकिस्तान ने साथ दिया था। बायकॉट से यह संतुलन बिगड़ सकता है।

  4. ब्रॉडकास्टिंग लॉबी का दबाव – भारत-पाक मैच विज्ञापन और व्यूअरशिप की सबसे बड़ी गारंटी है। 170 मिलियन डॉलर में बिके एशिया कप के प्रसारण अधिकार की सबसे बड़ी वजह भी यही मुकाबले हैं। ऐसे में अगर मैच नहीं होते तो ब्रॉडकास्टर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

सरकार की भूमिका: क्रिकेट या राजनीति?

अंतिम फैसला अब भी सरकार के हाथ में है। अब तक किसी भी मल्टीनेशनल टूर्नामेंट में भारत को पाकिस्तान से खेलने से रोका नहीं गया है। लेकिन 2025 की परिस्थिति अलग है—बिहार चुनाव नजदीक हैं, आतंकी हमले की ताजा यादें हैं और विपक्ष सरकार पर दबाव बना रहा है कि पाकिस्तान से हर तरह का खेल संबंध खत्म किए जाएं।

बायकॉट का इतिहास

एशिया कप में बायकॉट की मिसालें पहले भी रही हैं। भारत ने 1986 में टूर्नामेंट छोड़ा था, जबकि पाकिस्तान ने 1990-91 में भारत में होने वाले टूर्नामेंट का बायकॉट किया। यानी यह पहला मौका नहीं होगा, लेकिन मौजूदा हालात में इसका राजनीतिक असर कहीं ज्यादा बड़ा होगा।

नतीजा: क्रिकेट से आगे की जंग

भारत के सामने अब दोहरी चुनौती है। एक तरफ भावनात्मक दबाव है—आतंक का दर्द और पाकिस्तान के खिलाफ जनता का गुस्सा। दूसरी तरफ क्रिकेट डिप्लोमेसी और आर्थिक मजबूरियां हैं, जिनके कारण BCCI पाकिस्तान के साथ खेलने को तैयार दिख रहा है। नतीजा चाहे जो भी हो, यह तय है कि भारत-पाक क्रिकेट अब महज खेल नहीं रहा, बल्कि यह कूटनीति, अर्थशास्त्र और राजनीति का एक जटिल समीकरण बन चुका है।

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