लोकसभा में "एक देश, एक चुनाव" से जुड़े दो विधेयकों को स्वीकृति मिलने के बाद, आज इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मंजूरी दे दी गई। समिति में इस बार सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई है, जिसमें लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य शामिल किए गए हैं।
कानून मंत्री ने किया प्रस्ताव, सदस्यों की संख्या में वृद्धि-
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इन विधेयकों को जेपीसी को सौंपने का प्रस्ताव रखा, जिसे संसद द्वारा स्वीकार कर लिया गया। पहले इस समिति में कुल 31 सदस्य थे, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 39 कर दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य समिति में विभिन्न दलों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना है।
नए सदस्यों की एंट्री: सभी दलों को मिला प्रतिनिधित्व-
समिति में अब शिवसेना (यूबीटी), सीपीआई (एम), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), समाजवादी पार्टी और भाजपा के नए सदस्यों को जगह दी गई है।
प्रमुख नए सदस्य:
- भाजपा: बैजयंत पांडा और संजय जायसवाल
- सपा: छोटेलाल
- लोजपा: शांभवी
- शिवसेना (यूबीटी): अनिल देसाई
- सीपीआई (एम): के. राधाकृष्णन
दो विधेयकों पर होगी गहन चर्चा-
जेपीसी को जिन दो विधेयकों की समीक्षा का जिम्मा सौंपा गया है, उनमें शामिल हैं:
- एक देश, एक चुनाव से संबंधित विधेयक
- संविधान संशोधन का विधेयक
ये समिति इन दोनों विधेयकों का विस्तार से विश्लेषण करेगी और अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपेगी।
अधिक समावेशी समिति की पहल-
इस समिति के सदस्यों की संख्या बढ़ाने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी राजनीतिक दलों को उचित प्रतिनिधित्व मिले। यह कदम विधेयकों पर समग्रता से चर्चा को बढ़ावा देगा और उन्हें प्रभावी बनाने में मदद करेगा। "एक देश, एक चुनाव" बिल भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा कदम है, और इसकी समीक्षा के लिए विस्तारित समिति एक निर्णायक भूमिका निभाएगी।