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74 करोड़ पर भारतीयों पर मंडरा रहा इस बीमारी का खतरा, इतने करोड़ लोग हैं पीड़ित!

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भारत में फाइलेरिया (लिम्फेटिक फाइलेरिएसिस) एक गंभीर समस्या बन चुकी है। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) के आंकड़ों के अनुसार, देश के लगभग 74 करोड़ लोग फाइलेरिया के खतरे का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 3.1 करोड़ लोग इस संक्रमण से प्रभावित हैं। इसके खिलाफ लड़ाई में हाल ही में 6 राज्यों के 63 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) अभियान चलाया गया, जिससे 2023 में 82.5% कवरेज रेट को और बेहतर बनाने का प्रयास किया गया। इसे आमतौर पर 'हाथी पांव' (एलिफेंटियासिस) भी कहा जाता है। आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानें।

फाइलेरिया क्या है?

फाइलेरिया एक संक्रामक रोग है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है। यह रोग शरीर के लिम्फेटिक सिस्टम को प्रभावित करता है, जो शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। जब यह सिस्टम खराब हो जाता है, तो शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन आ जाती है और यह स्थिति गंभीर विकलांगता का रूप ले सकती है।

फाइलेरिया के लक्षण-

  • असामान्य सूजन: शरीर के प्रभावित अंगों में विशेष रूप से हाथ, पैर, या जननांगों में असामान्य सूजन।
  • त्वचा में बदलाव: संक्रमित क्षेत्र की त्वचा मोटी और कठोर हो जाती है।
  • अस्थायी लक्षण: कुछ लोगों में हल्के लक्षण होते हैं, जबकि कुछ मामलों में विकलांगता का रूप भी ले सकता है।
  • आम तौर पर एसिंप्टोमेटिक: फाइलेरिया से संक्रमित कई लोग कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं, लेकिन उनके लिम्फेटिक सिस्टम और किडनी को नुकसान पहुंचता रहता है।

भारत में फाइलेरिया का प्रभाव-

इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 3.1 करोड़ लोग फाइलेरिया से संक्रमित हैं, जिनमें से 2.3 करोड़ में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन बड़ी चिंता की बात यह है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन उनका लिम्फेटिक सिस्टम और अन्य अंग धीरे-धीरे खराब हो रहे हैं।

फाइलेरिया का शरीर पर प्रभाव

फाइलेरिया का प्रमुख प्रभाव शरीर के लिम्फेटिक सिस्टम पर पड़ता है, जो कई महत्वपूर्ण कार्य करता है:

  • तरल पदार्थ की निकासी: यह टिश्यूज से अतिरिक्त पानी को निकालकर ब्लड स्ट्रीम में भेजता है।
  • इम्यून सिस्टम का हिस्सा: यह सफेद रक्त कोशिकाएं बनाता है, जो कीटाणुओं से लड़कर शरीर को बीमारियों से बचाती हैं।
  • डाइजेशन और ब्लड प्रेशर: यह प्रणाली पोषक तत्वों को ब्लड स्ट्रीम में भेजने और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करती है।

जब लिम्फेटिक सिस्टम खराब हो जाता है, तो शरीर में पानी जमा होने लगता है, जिससे सूजन और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यह सूजन प्रभावित अंगों में गंभीर आकार ले सकती है, जिससे विकलांगता भी हो सकती है।

फाइलेरिया के कारण होने वाली जटिलताएं-

  1. इम्यून सिस्टम का कमजोर होना: फाइलेरिया के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  2. इन्फ्लेमेशन: शरीर के टिश्यूज में फ्लूइड जमा होने के कारण सूजन बढ़ जाती है, जिससे दर्द और असुविधा होती है।
  3. परजीवी वर्म का प्रकोप: फाइलेरिया के परजीवी वर्म रक्तप्रवाह के जरिए लिम्फेटिक सिस्टम में पहुंचते हैं और 7 साल तक जिंदा रहते हैं, जिसके दौरान वे लाखों नए परजीवी पैदा करते हैं। इसका इलाज लंबे समय तक नहीं किया जाए तो बीमारी नियंत्रण से बाहर हो जाती है।

क्या है फाइलेरिया का इलाज?

गुरुग्राम के नारायणा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पंकज वर्मा बताते हैं कि फाइलेरिया का इलाज शुरुआती चरण में अपेक्षाकृत आसान होता है। इसके लक्षण गंभीर होने से पहले ही रोकथाम की जा सकती है। इसके इलाज में प्रमुख दवाएं अल्बेंडाजोल, डीईसी (डाईइथाइलकार्बामाज़ीन), और आईवरमेक्टिन शामिल हैं। हालाँकि, समय बीतने के साथ इसका इलाज कठिन हो जाता है, खासकर तब जब बीमारी के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं।

फाइलेरिया से बचाव के उपाय-

  • मच्छरों से बचाव: चूंकि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से फैलता है, इसलिए मच्छरों से बचाव के सभी उपाय जैसे मच्छरदानी का उपयोग, मच्छररोधी क्रीम और घर के आसपास साफ-सफाई रखना जरूरी है।
  • समय पर दवाओं का सेवन: MDA कार्यक्रम के दौरान वितरित की जाने वाली दवाओं का सेवन आवश्यक है।
  • इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखना: संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखा जा सकता है।

सावधानियां और जीवनशैली सुधार-

डॉ. पंकज वर्मा के अनुसार, फाइलेरिया के मरीजों को अपनी जीवनशैली में कुछ सुधार करने चाहिए। संक्रमण और एलर्जी से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना, संक्रमण वाले क्षेत्रों की सही देखभाल करना, और नियमित चिकित्सा जांच करवानी चाहिए ताकि बैक्टीरियल इन्फेक्शन और अन्य जटिलताओं से बचा जा सके। फाइलेरिया से बचने का सबसे कारगर तरीका मच्छरों से बचाव और शुरुआती चरण में इसका उपचार है। भारत में इस बीमारी के खतरे को देखते हुए सरकार ने बड़े पैमाने पर जागरूकता और दवा वितरण अभियान चलाए हैं। फाइलेरिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए हमें समय पर उपचार और बचाव के उपाय अपनाने चाहिए।

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