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गडकरी-सिंधिया समेत 20 सांसद 'एक देश-एक चुनाव' बिल की वोटिंग में नहीं थे मौजूद, आखिर क्या थी वजह?

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गिरिराज सिंह समेत 20 सांसदों को नोटिस भेजने की तैयारी में है। ये सांसद मंगलवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ (ONOE) बिल पेश होने के दौरान लोकसभा में गैरमौजूद थे। पार्टी ने व्हिप जारी कर सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया था।

सदन में मौजूद नहीं थे 20 सांसद

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजेपी ने तीन लाइन का व्हिप जारी कर सभी सांसदों को बिल पेश होने के समय उपस्थित रहने का सख्त निर्देश दिया था। लेकिन पार्टी के 20 सांसद अनुपस्थित रहे। इनमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह, सीआर पाटिल, शांतनु ठाकुर, जगदंबिका पाल, बीवाई राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जगन्नाथ सरकार, जयंत कुमार रॉय, वी सोमन्ना, और चिंतामणि महाराज के नाम शामिल हैं।

PM मोदी भी सदन से रहे अनुपस्थित

बिल पेश होते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा में मौजूद नहीं थे। वे जयपुर में पार्वती-कालसिंध-चंबल-ईआरसीपी परियोजना का शिलान्यास कर रहे थे। इस दौरान पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व सरकार ने इस परियोजना में देरी कराई और राज्यों के बीच जल विवाद को बढ़ावा दिया।

'एक देश, एक चुनाव' बिल लोकसभा में पेश

मंगलवार को लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए 129वां संविधान (संशोधन) बिल पेश किया गया। पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई, लेकिन आपत्ति के बाद पर्ची से मतदान हुआ। बिल पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब बिल कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाना चाहिए। कानून मंत्री ने सदन में इस प्रस्ताव को दोहराया।

विपक्ष के बिना बिल पास होना मुश्किल

‘एक देश, एक चुनाव’ बिल को लेकर रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने 47 राजनीतिक दलों से राय ली थी। इनमें से 32 दलों ने समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने विरोध किया। विरोध करने वाले दलों के पास लोकसभा में 205 सांसद हैं। इसलिए, I.N.D.I.A. गठबंधन के समर्थन के बिना बिल पास करना लगभग असंभव है।

कितने प्रकार का होता है व्हिप-

  1. एक लाइन का व्हिप: सिर्फ उपस्थित रहने का निर्देश।
  2. दो लाइन का व्हिप: उपस्थित रहने और बहस में हिस्सा लेने का निर्देश।
  3. तीन लाइन का व्हिप: उपस्थित रहने, बहस में हिस्सा लेने और पार्टी लाइन के अनुसार वोट देने का निर्देश।

व्हिप का उल्लंघन करने पर क्या होता है?

संसदीय प्रक्रियाओं में व्हिप एक ऐसा औजार है, जो पार्टी की अनुशासनात्मक नीति को सुदृढ़ करता है। लेकिन, जब कोई सदस्य इसका उल्लंघन करता है, तो उसके राजनीतिक करियर पर अयोग्यता की तलवार लटक जाती है। गंभीर मामलों में सदस्य को पार्टी से निष्कासित करने तक की कार्रवाई हो सकती है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि यदि पार्टी के एक तिहाई सदस्य सामूहिक रूप से व्हिप का उल्लंघन करते हैं, तो यह राजनीतिक बगावत का संकेत माना जाता है। ऐसे मामलों में न केवल कार्रवाई से बचाव होता है, बल्कि इसे पार्टी का विभाजन मानते हुए नई पार्टी बनाने की संभावना भी बन जाती है। व्हिप का पालन न करना, कभी-कभी राजनीतिक स्थिरता को चुनौती देकर नए समीकरणों को जन्म दे सकता है।

BJP के लिए नई चुनौती

‘एक देश, एक चुनाव’ बिल पर बीजेपी के 20 सांसदों की गैरमौजूदगी पार्टी के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा कर रही है। अब पार्टी इन सांसदों से अनुपस्थिति का कारण पूछने के बाद आगामी कदम तय करेगी।

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