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चीन की चाल से भारत की EV स्पीड स्लो! रेयर अर्थ ब्लॉक से बढ़ी मुश्किलें!

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भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्रांति को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स और उनसे बने मिश्रण व एलॉय के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा कर दी। ये मैटेरियल्स ईवी मोटर्स, बैटरियों और हाई-टेक कंपोनेंट्स के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। चीन के इस कदम से भारत की ईवी सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है और वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी भी संभव है।

भारत की ईवी नीति को झटका

चीन की इस घोषणा का समय बेहद अहम है, क्योंकि भारत सरकार 2025 के बजट में ईवी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए बड़े प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता की घोषणा कर चुकी है। इसका मकसद देश में ई-मोबिलिटी को तेज़ी से आगे बढ़ाना और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। लेकिन अब, जब सबसे ज़रूरी कच्चा माल ही संकट में है, तब ये योजनाएं धीमी पड़ सकती हैं।

चीन की रणनीति: व्यापार युद्ध का नया हथियार

विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन ने यह कदम अमेरिका के सेमीकंडक्टर उद्योग पर लगे प्रतिबंधों के जवाब में उठाया है। यह वैश्विक सप्लाई चेन पर चीन के प्रभुत्व को भी रेखांकित करता है। चीन दुनिया के 70% रेयर अर्थ खनन और लगभग 90% वैश्विक प्रसंस्करण में भागीदार है, जिससे उसकी एकतरफा निर्भरता पर पूरी दुनिया का उद्योग आश्रित है।

भारत पर संभावित प्रभाव

भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में करीब 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात किए थे, जिसकी कुल कीमत 306 करोड़ रुपये रही। अब जब निर्यात रोका गया है, तो इसका असर सीधे ईवी मैन्युफैक्चरिंग पर पड़ेगा। जानकारों का मानना है कि इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में 8% तक बढ़ोतरी हो सकती है।

इसके अलावा, चीन की नई प्रक्रिया के तहत अब भारतीय कंपनियों को इन मैग्नेट्स के 'एंड यूज' यानी अंतिम इस्तेमाल की जानकारी देनी होगी, जिसकी स्वीकृति चीनी दूतावास से लेनी पड़ती है। फिलहाल भारत की ओर से भेजे गए 30 आवेदन मंजूरी के इंतजार में हैं।

SIAM और ऑटो उद्योग की चिंता

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की शीर्ष संस्था SIAM ने सरकार के समक्ष गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि रेयर अर्थ सप्लाई में कोई भी बाधा, वाहन उत्पादन को धीमा कर सकती है और सप्लाई चेन को अस्थिर कर देगी।

समाधान की कोशिशें

सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार चीन से बातचीत करने के लिए ऑटो उद्योग के प्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल बीजिंग भेजने पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य चीन से अनिवार्य कंपोनेंट्स की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना और इस संकट का व्यावहारिक समाधान तलाशना है।

चीन पर निर्भरता घटाना ज़रूरी

भारत की ईवी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भरता और वैकल्पिक आपूर्ति शृंखलाओं पर अब ज़ोर देना जरूरी हो गया है। यह घटना बताती है कि किसी एक देश पर तकनीकी और खनिज संसाधनों के लिए अत्यधिक निर्भरता भविष्य में रणनीतिक जोखिम बन सकती है।

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