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भारत से iPhone निर्माण बंद हुआ, तो कौन होगा घाटे में – Apple या भारत? रिपोर्ट में खुलासा

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अगर एपल भारत में iPhone बनाना बंद कर दे और अपनी विनिर्माण इकाई को अमेरिका शिफ्ट कर दे, तो इससे सबसे ज्यादा नुकसान खुद Apple को होगा-भारत को नहीं। यह खुलासा ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की हालिया रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में Apple की असेंबली यूनिट्स से देश को अपेक्षाकृत कम मुनाफा होता है, लेकिन Apple को उत्पादन सब्सिडी और सस्ती श्रम लागत से बड़ा लाभ मिलता है। ऐसे में अगर Apple भारत से बाहर जाता है, तो यह कदम उसके लिए घाटे का सौदा हो सकता है।

iPhone से भारत को क्या फायदा, Apple को क्या नुकसान?

GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, एक iPhone पर भारत को औसतन 30 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹2500) की कमाई होती है, जो ज्यादातर सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत दी गई सब्सिडी के रूप में Apple को ही वापस चली जाती है। इसके बावजूद, व्यापार आंकड़ों में भारत से किए गए iPhone निर्यात को $7 बिलियन का मूल्य दर्शाया जाता है।

भारत का योगदान सिर्फ 3%, बाकी कमाई हाई-टेक देशों की

श्रीवास्तव कहते हैं कि एक $1000 के iPhone में भारत का वास्तविक योगदान 3% से भी कम है, यानी सिर्फ $30। बाकी के $970 मूल्य में योगदान अमेरिका, जापान, ताइवान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों का होता है, जो iPhone के हाई-टेक पार्ट्स जैसे चिप्स, स्क्रीन, कैमरा आदि बनाते हैं।

Apple ने भारत से हटाया निर्माण, तो कितना होगा नुकसान?

यदि Apple भारत से निर्माण हटाकर अमेरिका ले जाता है तो उसे सबसे बड़ा झटका लागत के रूप में लगेगा।
रिपोर्ट के अनुसार:

  • भारत में असेंबली मजदूरों को औसतन $290/माह वेतन दिया जाता है

  • अमेरिका में यही मजदूरी 13 गुना बढ़कर $2900/माह हो जाएगी

  • इसका मतलब है कि एक iPhone को असेंबल करने की लागत $30 से बढ़कर $390 तक पहुंच जाएगी

  • Apple का प्रति डिवाइस मुनाफा $450 से घटकर मात्र $60 रह जाएगा (अगर वह कीमत नहीं बढ़ाता)

इसका असर सीधे अमेरिकी ग्राहकों पर पड़ेगा, जिन्हें महंगे iPhone खरीदने पड़ेंगे।

भारत को क्या होगा नुकसान?

भारत को अगर नुकसान होगा भी तो वह मुख्य रूप से नौकरियों के मामले में होगा। वर्तमान में भारत में Apple की विनिर्माण इकाइयों में करीब 60,000 लोग काम करते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस अवसर को उथली असेंबली लाइनों से हटकर गहन विनिर्माण जैसे – चिपसेट, बैटरी, डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में लगा सकता है।

चीन से अब भी बनते हैं 85% iPhone

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन अब भी 80–85% iPhone का निर्माण करता है, जबकि भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 15 से 20% है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका सरकार Apple पर चीन से विनिर्माण हटाने का दबाव क्यों नहीं बनाती — जबकि भारत पर नजरें गड़ाई जाती हैं?

Apple को होगा भारी नुकसान: GTRI रिपोर्ट

GTRI की रिपोर्ट साफ बताती है कि भारत से Apple के जाने पर वास्तविक घाटा खुद कंपनी को होगा। भारत को यह अवसर मिल सकता है कि वह केवल असेंबली नहीं, बल्कि अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक निर्माण की ओर कदम बढ़ाए। वहीं Apple जैसी कंपनियों को यह समझना होगा कि सस्ते श्रम से ज्यादा जरूरी है लॉन्ग-टर्म रणनीति और लोकल इकोनॉमी में टिकाऊ निवेश।

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