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देश की सबसे बड़ी जनगणना प्रक्रिया एक बार फिर पटरी पर लौट रही है। कोविड महामारी के चलते रुकी जनगणना अब 2027 में दो चरणों में कराई जाएगी। सबसे अहम बात यह है कि इस बार जनगणना में जाति का कॉलम भी जोड़ा गया है। यानी अब हर व्यक्ति से पूछा जाएगा — 'कौन जात हो?' देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में इसकी तैयारियां तेज हो गई हैं। पहले चरण में घर और संसाधनों की गिनती होगी, जबकि दूसरे चरण में व्यक्तियों के साथ उनकी जाति और उपजातियों का ब्योरा भी जुटाया जाएगा।
कब और कैसे होगी जनगणना
👉 केंद्र सरकार ने पहाड़ी राज्यों के लिए 1 अक्टूबर 2026 और मैदानी राज्यों (जैसे यूपी) के लिए 1 मार्च 2027 को जनगणना की रेफरेंस डेट तय की है।
👉 पहले चरण में मई-जून 2026 में हाउसिंग व हाउस लिस्टिंग सर्वे चलेगा।
👉 दूसरे चरण में जनवरी-फरवरी 2027 में व्यक्तिगत गणना की जाएगी।
इस बार जनगणना डिजिटल मोड में होगी। मोबाइल ऐप के जरिए ही डेटा फीड किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया पहले से कहीं तेज और अधिक सटीक होगी।
पहले चरण में क्या होगा सर्वे
➡️ घर की स्थिति (कच्चा/पक्का)
➡️ परिवार में मुखिया कौन है
➡️ बिजली, पानी, शौचालय जैसी सुविधाएं
➡️ घर में मौजूद संसाधनों का ब्योरा
दूसरे चरण में क्या पूछा जाएगा
➡️ प्रत्येक व्यक्ति की उम्र
➡️ लिंग, शिक्षा, पेशा
➡️ रोजगार का प्रकार
➡️ जाति और उपजाति की जानकारी
इस बार क्यों खास है जनगणना
➡️ जाति का कॉलम पहली बार सभी के लिए खुला रहेगा।
➡️ अब तक सिर्फ एससी-एसटी के लिए जातिगत विवरण दर्ज होता था।
➡️ पहली बार सभी जातियों और उनकी उपजातियों का डेटा जुटाया जाएगा।
➡️ माइग्रेशन पर भी खास फोकस रहेगा — लोग कहां से कहां जा रहे हैं और क्यों।
जाति की गिनती में सबसे बड़ी चुनौती क्या
👉 ओबीसी और एससी-एसटी की तो सरकारी सूची तय है, लेकिन
👉 अनारक्षित वर्ग (जनरल कैटेगरी) में जातियों और उपजातियों की कोई तय सूची नहीं है।
👉 एक ही जाति के लोग अलग-अलग टाइटल लगाते हैं, जिससे डेटा एकरूप बनाना मुश्किल होगा।
👉 कई उपजातियां स्थानीय तौर पर पहचान रखती हैं, जिनका कोई प्रमाणपत्र नहीं होता।
👉 फिलहाल इस चुनौती को लेकर मानक तय करने पर विचार जारी है।
'जनगणना नगर' की भी नई परिभाषा
👉 जिन ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 से ज्यादा आबादी है,
👉 जहां 75% आबादी गैर-कृषि कार्यों में लगी है
👉 और जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है —
👉 ऐसे क्षेत्र को 'जनगणना नगर' का दर्जा दिया जाएगा।
31 दिसंबर के बाद नहीं होगा कोई निकाय गठन
👉 31 दिसंबर के बाद नई तहसील, निकाय या पंचायत नहीं बनाई जाएगी।
👉 पहले सभी सीमाओं को स्थिर किया जाएगा ताकि सर्वे में एकरूपता बनी रहे।
फील्ड में ऐसे चलेगा काम
➡️ हर निकाय या पंचायत को 'चार्ज' के तौर पर चिह्नित किया जाएगा।
➡️ वहां एक चार्ज ऑफिसर नियुक्त होगा।
➡️ शहरी क्षेत्रों के लिए टाउन रजिस्टर और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विलेज रजिस्टर तैयार होंगे।
अधिकारियों की क्या तैयारी
👉 जनगणना के लिए विशेष प्रशिक्षण होगा।
👉 पहले नेशनल लेवल मास्टर ट्रेनर्स तैयार होंगे।
👉 फिर राज्य, जिले और स्थानीय स्तर पर प्रगणकों (जनगणना कर्मियों) को ट्रेनिंग दी जाएगी।
जनता के लिए क्यों अहम है यह जनगणना
➡️ इस बार जाति आधारित आंकड़े पहली बार खुलकर सामने आएंगे।
➡️ यह जानकारी नीति निर्माण, आरक्षण, सामाजिक योजनाओं में बेहद अहम होगी।
➡️ माइग्रेशन डेटा से पता चलेगा कि कौन से जिले पलायन के शिकार हैं।
➡️ शहरीकरण के रुझानों को भी बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।
जाति आधारित आंकड़ों से बदलेगी सामाजिक तस्वीर
Census 2027 सिर्फ जनसंख्या की गिनती नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे की नई तस्वीर पेश करने वाली है। जाति आधारित डेटा को लेकर जहां सरकार और समाजशास्त्रियों में उत्सुकता है, वहीं इसे सही तरीके से दर्ज कराना और मानकीकरण बड़ी चुनौती होगा। UP समेत पूरे देश में इस बार की जनगणना डिजिटल, तेज और ज्यादा समावेशी होगी। आने वाले महीनों में इसके हर चरण पर देश की नजर रहेगी।
Baten UP Ki Desk
Published : 7 June, 2025, 2:39 pm
Author Info : Baten UP Ki