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यूपी की इस IIT में विकसित की गई एक प्रभावशाली नैनो मेडिसिन, जो कर सकती है संक्रामक बीमारियों की रोकथाम

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IIT BHU द्वारा विकसित की गई एक नयी और प्रभावशाली नैनो मेडिसिन, जो न केवल कम लागत में तैयार की गई है, बल्कि बैक्टीरिया और फंगस से होने वाली संक्रामक बीमारियों को रोकने में भी बहुत कारगर साबित हो रही है। आईआईटी BHU के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रदीप पाइक और उनकी टीम ने इस नैनो मेडिसिन को विकसित किया है। यह नई खोज उन रोगियों के लिए एक नई उम्मीद बनकर आई है जिनका इम्यून सिस्टम काफी कमजोर है और जो ड्रग रेसिस्टेंट इंफेक्शियस डिजीज से ग्रस्त हैं।

नैनोमेडिसिन क्या है?

मान लीजिए आपको बुखार है। जब आप बुखार की कोई सामान्य दवा लेंगे तो वो पूरी बॉडी में फैल जाती है और सभी सेल्स को इफ़ेक्ट करती है। लेकिन नैनो मेडिसिन सिर्फ उन सेल्स तक जाएगी जहां बुखार है। इससे बुखार जल्दी ठीक होगा और दवा के साइड इफेक्ट्स भी कम होंगे। बता दें कि इस नैनोमेडिसिन के कणों का आकार मात्र 3-5 नैनोमीटर है। ये कण संक्रमण के लिए जिम्मेदार सूक्ष्म जीवों के viral protein को निशाना बनाते हैं। इसके साथ ही, यह दवा अत्यधिक तापमान, लगभग 200 डिग्री सेल्सियस तक भी स्थिर रहती है, जो इसे सामान्य दवाओं से काफी अलग बनाती है।

चूहों पर किया गया सफल परीक्षण-

इस नैनो मेडिसिन का चूहों पर भी सफल परीक्षण किया गया है और इसके परिणाम भी पॉजिटिव पाए गए हैं। साथ ही, इस नैनोमेडिसिन को 30-40 रोगियों से मिले antibiotic resistant pathogens के खिलाफ भी परखा गया है, जहां इसे प्रभावी पाया गया।

नैनोमेडिसिन को विकसित करने का उद्देश्य-

इस नैनोमेडिसिन को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य संक्रमण के खिलाफ एक सशक्त और सस्ती चिकित्सा विकसित करना है। इस नैनो मेडिसिन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे कम लागत में तैयार किया गया है, जिससे यह दवा देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी लाभकारी होगी।

ड्रग रेसिस्टेंट इंफेक्शियस डिजीज क्या होताी है?

आपने कई बार बीमार होने पर दवाई ली होगी। ये दवाइयाँ बैक्टीरिया, वायरस या अन्य सूक्ष्म जीवों को मारकर हमें ठीक करती हैं। लेकिन, कुछ सूक्ष्म जीव इतने चालाक होते हैं कि वे इन दवाइयों के असर से बच जाते हैं। इन्हें ही 'ड्रग रेसिस्टेंट' यानी दवा प्रतिरोधी सूक्ष्म जीव कहते हैं। जब ये दवा ड्रग रेसिस्टेंट वायरस या बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे सामान्य दवाओं से नहीं मरते। इससे बीमारी का इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। कई बार तो ऐसी बीमारियाँ जानलेवा भी हो सकती हैं।

ऐसा होने के पीछे क्या होते हैं कारण

दवाओं का गलत इस्तेमाल: 

कई बार लोग डॉक्टर की सलाह के बिना दवा खाते हैं या कोर्स खत्म किए बिना दवा लेना बंद कर देते हैं। इससे कुछ सूक्ष्म जीव मर जाते हैं, लेकिन कुछ बच जाते हैं और ये बचने वाले सूक्ष्म जीव दवा के प्रतिरोधी हो जाते हैं।

दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल: 

खेती में, पशुओं में और इंसानों में बीमारियों से लड़ने के लिए दवाओं का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। इससे सूक्ष्म जीवों में दवा के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

दवाओं का विकास न होना: 

कई बार नई दवाओं का विकास नहीं हो पाता है, जिससे पुराने सूक्ष्म जीवों के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर पड़ जाती है।

इससे क्या समस्याएं हो सकती है-
 
इलाज में मुश्किल:

दवा प्रतिरोधी बीमारियों का इलाज करना बहुत मुश्किल होता है।

खर्च में वृद्धि:

इन बीमारियों के इलाज में बहुत पैसा खर्च होता है।

मृत्यु दर बढ़ना:

कई बार ये बीमारियाँ जानलेवा भी हो सकती हैं।

समाज पर बोझ:

ये बीमारियाँ पूरे समाज के लिए एक बड़ा बोझ होती हैं।
 
इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है?

इसपर बात करें तो इनसे बचाव के लिए हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवा लें। दवा का पूरा कोर्स जरूर करें, भले ही आप बीमार महसूस न कर रहे हों। दवाओं का केवल तभी इस्तेमाल करें जब जरूरत हो। इसके अलावा साफ-सफाई का ध्यान रखकर कई बीमारियों से बचा जा सकता है। 

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