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भारत और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत लंबे समय से अधर में लटकी हुई है। हाल के वर्षों में यह तनाव और बढ़ा है, खासकर तब जब अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात पर सवाल उठाए और अतिरिक्त टैरिफ तक लगाए। इसके चलते दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में अनिश्चितता गहराती जा रही है। लेकिन इसी कड़ी में भारत ने एक दिलचस्प कदम उठाया है—यूरेशियाई आर्थिक संगठन (EAEU) के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत। यह कदम सिर्फ अमेरिका को बैलेंस करने की रणनीति नहीं है, बल्कि भारत के लिए वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अपनी जगह मजबूत करने का अवसर भी है।
क्या है यूरेशियाई आर्थिक संगठन (EAEU)?
यूरेशियाई आर्थिक संगठन 2014 में अस्तित्व में आया था और 2015 से सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इसके सदस्य देश हैं—
रूस
अर्मेनिया
बेलारूस
कजाखस्तान
किर्गिस्तान
वहीं, क्यूबा, मॉलदोवा और उज्बेकिस्तान फिलहाल पर्यवेक्षक (Observer) की भूमिका में हैं। EAEU का उद्देश्य है सदस्य देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और श्रम के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करना। यह यूरोपीय संघ जैसा ही एक आर्थिक ढांचा है, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर एशिया और यूरोप के मुहाने पर केंद्रित है।
भारत और EAEU के बीच व्यापारिक तस्वीर
भारत और EAEU के बीच 2024 में करीब 69 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। यह 2023 की तुलना में लगभग 7% की बढ़ोतरी है। आंकड़े साफ बताते हैं कि भारत के लिए इस क्षेत्र में पहले से ही एक बड़ा बाजार मौजूद है। अगर FTA लागू होता है, तो भारतीय कंपनियों को रूस समेत मध्य एशियाई और यूरोपीय सीमावर्ती बाजारों तक आसान पहुंच मिल सकती है। यह केवल ऊर्जा या कच्चे माल तक सीमित नहीं होगा, बल्कि टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो कंपोनेंट्स, आईटी सेवाओं और कृषि उत्पादों के लिए भी नया रास्ता खुलेगा।
भारत के लिए यह कदम क्यों अहम?
अमेरिका-चीन टकराव के बीच विकल्प की तलाश
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का असर वैश्विक सप्लाई चेन पर पड़ रहा है। भारत इस मौके को एक वैकल्पिक सप्लायर और ट्रेडिंग हब के रूप में भुनाना चाहता है। लेकिन अमेरिका पर ज्यादा निर्भरता भारत के लिए जोखिमपूर्ण हो सकती है। EAEU के साथ समझौता भारत को एक नए भू-राजनीतिक और आर्थिक ध्रुव से जोड़ देगा।
ऊर्जा सुरक्षा
रूस भारत का बड़ा ऊर्जा आपूर्तिकर्ता है। तेल और गैस पर भारत की निर्भरता को देखते हुए, EAEU के साथ FTA से ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक साझेदारी मजबूत होगी।
भू-राजनीतिक संतुलन
अमेरिका और यूरोप जहां रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं, वहीं भारत ने हमेशा “रणनीतिक संतुलन” की नीति अपनाई है। FTA के जरिए भारत यह संदेश देगा कि वह सिर्फ पश्चिम पर निर्भर नहीं, बल्कि बहु-ध्रुवीय दुनिया में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।
एसएमई और नए बाजार
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, 6.5 ट्रिलियन डॉलर की सम्मिलित जीडीपी वाले EAEU के साथ FTA से भारत के लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को नए अवसर मिलेंगे। भारतीय निर्यातक नए भौगोलिक इलाकों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा पाएंगे।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
हालांकि, इस समझौते का रास्ता आसान नहीं है।
राजनीतिक अनिश्चितता: रूस-यूक्रेन युद्ध अभी भी जारी है। पश्चिमी देशों की पाबंदियों के बीच भारत को सावधानी से कदम उठाना होगा।
लॉजिस्टिक और कनेक्टिविटी: भारत और EAEU देशों के बीच सीधी भौगोलिक कनेक्टिविटी की कमी है। अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) इस समस्या को हल कर सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह क्रियान्वित होने में वक्त लगेगा।
डॉलर आधारित व्यापार: रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के चलते डॉलर में लेन-देन मुश्किल हो सकता है। इसलिए भारत और EAEU देशों को वैकल्पिक भुगतान तंत्र (जैसे रुपया-रूबल मैकेनिज्म) को मजबूत करना होगा।
भारत के अन्य FTA मोर्चे
EAEU के अलावा भारत कई और देशों और समूहों के साथ भी FTA की दिशा में बढ़ रहा है—
यूरोपीय संघ (EU): लंबे समय से बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि 2025 तक समझौता हो सकता है।
ओमान: बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है, समझौते पर जल्द हस्ताक्षर संभव।
न्यूजीलैंड: तीसरे चरण की वार्ता सितंबर में होगी।
चिले: मौजूदा व्यापार समझौते को CEPA में बदलने की तैयारी।
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पेरू आदि देशों से भी बातचीत जारी है।
यह रणनीति बताती है कि भारत अपनी व्यापार नीति को एक “मल्टी-लेयर नेटवर्क” में बदलना चाहता है, जहां किसी एक देश पर निर्भरता कम हो।
भारत का संतुलनकारी दांव
अमेरिका से व्यापारिक तनाव भारत के लिए एक चेतावनी है कि एकध्रुवीय निर्भरता टिकाऊ नहीं हो सकती। ऐसे समय में EAEU के साथ FTA भारत को न सिर्फ नए बाजार देगा, बल्कि भू-राजनीतिक संतुलन साधने का अवसर भी। यह समझौता भारत की ऊर्जा सुरक्षा, निर्यात क्षमता और रणनीतिक स्वायत्तता—तीनों के लिए अहम है। हालांकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन यदि भारत लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी और वैकल्पिक भुगतान तंत्र को मजबूत कर पाए, तो आने वाले वर्षों में EAEU भारत के लिए “ट्रेड गेम-चेंजर” साबित हो सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 23 August, 2025, 5:52 pm
Author Info : Baten UP Ki