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मिड-डे मील का दिखा साफ़ असर...स्कूलों में बढ़ी लड़कियों और वंचित वर्गों की प्रेजेंस

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यूनेस्को की हालिया ग्लोबल एजुकेशन रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि भारत में मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) ने स्कूलों में लड़कियों और वंचित वर्गों की उपस्थिति बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक संघर्ष और खाद्य सुरक्षा संकट के चलते शिक्षा और पोषण के मुद्दे पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं।

8 राज्यों में 95% से अधिक स्कूलों में मिल रहा पोषणयुक्त भोजन

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आठ राज्यों में 95% से अधिक ग्रामीण स्कूलों में नियमित रूप से मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। यह भोजन न केवल बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने में मददगार साबित हो रहा है, बल्कि स्कूलों में उपस्थिति दर में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। खासतौर पर लड़कियों और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के छात्रों के लिए यह योजना शिक्षा से जुड़ाव का एक मजबूत माध्यम बनी है।

कुछ राज्यों में स्थिति चिंताजनक

हालांकि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तीन राज्यों में 50% से भी कम स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना का क्रियान्वयन हो रहा है, जो चिंताजनक है। ऐसे राज्यों में इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

जनता के सहयोग से चल रही योजना

इस राष्ट्रीय योजना का एक बड़ा हिस्सा जनता से वसूले जाने वाले दो प्रतिशत शिक्षा कर से आता है, जो यह दर्शाता है कि समाज का योगदान भी इस प्रणाली में महत्वपूर्ण है।

ऑनलाइन निगरानी में कमी, रिपोर्टिंग मात्र 18% स्कूलों से

रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि ऑनलाइन रियल टाइम निगरानी प्रणाली होने के बावजूद, स्कूलों की दैनिक रिपोर्टिंग अभी भी काफी कम है। 2022 की दूसरी छमाही में केवल 18% स्कूलों ने नियमित रिपोर्टिंग की, जिससे योजना की निगरानी पर सवाल उठते हैं।

वैश्विक स्तर पर भी भोजन की गुणवत्ता और नियमों की कमी

यूनेस्को रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के केवल 60% देशों में ही स्कूल भोजन और पेय पदार्थों को लेकर कानूनी मानक लागू हैं। इन देशों में भी केवल 29% ने स्कूलों में फूड मार्केटिंग पर रोक लगाने के लिए कोई कदम उठाए हैं।

मिड-डे मील: शिक्षा के साथ सामाजिक बदलाव की कुंजी

रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि शिक्षा और पोषण को जोड़कर चलने वाले कार्यक्रम, जैसे कि भारत की मध्याह्न भोजन योजना, न केवल बच्चों के विकास में सहायक हैं बल्कि सामाजिक समानता और शैक्षिक सशक्तिकरण की दिशा में भी एक मजबूत कदम हैं। ऐसे में इस योजना की निगरानी और क्रियान्वयन को और बेहतर बनाने की जरूरत है ताकि इसका लाभ देश के हर बच्चे तक पहुंच सके।

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