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तेजी से बढ़ रही भारत में EV इंडस्ट्री, रोजगार में आएगी क्रांति, 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये होगा व्यापार...

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भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग तेज़ी से बढ़ रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की कि भारतीय ईवी उद्योग का आकार 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में, यह 4.50 लाख करोड़ रुपये का है, जो लगभग पांच गुना बढ़ोतरी का संकेत देता है।

रोजगार में क्रांति: पांच करोड़ नई नौकरियां-

गडकरी का अनुमान है कि इस विस्तार से अगले पांच वर्षों में लगभग पांच करोड़ नई नौकरियां उत्पन्न होंगी। भारत का लक्ष्य निकट भविष्य में वैश्विक ईवी हब बनने का है, जिससे रोजगार के साथ-साथ तकनीकी नवाचार और निवेश में भी इजाफा होगा।

शुरुआती दौर में है ईवी बिक्री-

हालांकि भारत में ईवी बिक्री अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इसका विकास आशाजनक है। 2023 के अप्रैल से दिसंबर तक 18 लाख से अधिक ईवी पंजीकृत हुए, जो कुल वाहन बिक्री का 10% से भी कम है।

पारंपरिक ईंधनों से ईवी की ओर बदलाव-

गडकरी ने पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों के स्थान पर ईवी को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि भारत हर साल 22 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन का आयात करता है, जो आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ावा देता है। ईवी के साथ-साथ हाइब्रिड, इथेनॉल और हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधनों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

2024: ईवी बिक्री में तेजी की उम्मीद-

  • भारत का स्थान विश्व के प्रमुख ऑटो बाजारों में

भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है। इसका मौजूदा बाजार आकार 22 लाख करोड़ रुपये है। बावजूद इसके, ईवी की पहुंच अभी भी सीमित है।

  • ईवी बिक्री में 30% की बढ़ोतरी-

2024 तक ईवी की पहुंच मामूली बढ़कर 7.40% तक पहुंचने का अनुमान है। इस साल दिसंबर के मध्य तक वाणिज्यिक ईवी सहित 18 लाख से अधिक वाहन बेचे जा चुके हैं। 2023 की जनवरी-नवंबर अवधि में, ईवी बिक्री में 30% की वृद्धि दर्ज की गई, जो वैश्विक मंदी के ट्रेंड से प्रभावित नहीं रही।

  • भारत का सपना: वैश्विक ईवी हब बनना-

गडकरी का यह मानना है कि ईवी का बढ़ता उपयोग न केवल भारत को एक प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्यातक बनाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में भी योगदान देगा। भारतीय ईवी उद्योग का यह सफर, नए तकनीकी नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

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