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पहाड़ी पाठशालाओं में भी होगा डिजिटल कायाकल्प, अब हर स्कूल पर सरकार की रहेगी नजर!

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कभी खाली रहने वाली पहाड़ी पाठशालाओं में अब उम्मीदों की गूंज सुनाई देने लगी है। जहां कभी पलायन मजबूरी हुआ करता था, आज वहीं शिक्षा उम्मीद बनकर लौट रही है। उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था अब डिजिटल बदलाव की राह पर है — और इस बदलाव की अगुवाई खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने हाल ही में घोषणा की है कि राज्य के सभी निजी स्कूलों को भी “विद्या समीक्षा केंद्र” (VSK) से जोड़ा जाएगा। यह एक अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो छात्रों की उपस्थिति, नामांकन, परीक्षा प्रदर्शन और शिक्षक प्रशिक्षण जैसे अहम बिंदुओं को ट्रैक करेगा। अब तक इस सिस्टम से केवल सरकारी स्कूल जुड़े थे, लेकिन अब निजी स्कूलों को भी जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

शिक्षा में डिजिटल निगरानी: अब कोई कोना छूटेगा नहीं

उत्तराखंड ने गुजरात मॉडल को अपनाते हुए VSK लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने का दावा किया है। राज्य के सभी 13 जिलों में वर्चुअल क्लासरूम की शुरुआत हो रही है। अब तक करीब 16,000 सरकारी स्कूल इस सिस्टम से जुड़ चुके हैं, और अब 5225 प्राइवेट स्कूल भी इससे जोड़े जाएंगे।

मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया, “शिक्षा, रोजगार और पहाड़ में विकास हमारी प्राथमिकता है।” यही नहीं, छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं जैसे छात्रवृत्ति, स्पोर्ट्स स्कीम, भारत भ्रमण, और स्किल ट्रेनिंग में भी अब हर बच्चे तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी — चाहे वो किसी भी स्कूल में पढ़ता हो।

पहाड़ों में उम्मीदें लौट रही हैं

राज्य में शिक्षा को लेकर जमीनी स्तर पर कई बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं:

  • 500 से अधिक स्कूलों में ICT लैब्स (डिजिटल शिक्षा केंद्र) की स्थापना

  • अटल उत्कृष्ट विद्यालयों की शुरुआत – CBSE पैटर्न पर शिक्षा

  • मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना – स्किल ट्रेनिंग और शिक्षा साथ-साथ

  • गर्भवती शिक्षिकाओं को स्थानांतरण में प्राथमिकता – महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

  • सभी सरकारी स्कूलों में NCERT की किताबों का उपयोग

  • कक्षा 6 से 12 तक के मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति और भारत भ्रमण का अवसर

  • राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने का वादा

इसके साथ ही राज्य में 141 पीएम श्री स्कूल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय बनाए जा रहे हैं।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालांकि सरकार की कोशिशें सराहनीय हैं, लेकिन ASER 2024 रिपोर्ट कुछ चिंताजनक आंकड़े भी पेश करती है:

  • सरकारी स्कूलों में नामांकन घटकर 66.8% रह गया है

  • कक्षा 3 के सिर्फ 23.4% छात्र ही कक्षा 2 की किताब सही से पढ़ पा रहे हैं

  • लेकिन गणित में कुछ सुधार – कक्षा 8 के 45.8% छात्र बेसिक गणित हल कर पा रहे हैं

ऐसे में VSK जैसी पहलें न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता में पारदर्शिता लाएंगी, बल्कि नीति निर्धारण में भी अहम भूमिका निभाएंगी। अब सरकार यह देख सकेगी कि कौन-सा स्कूल अच्छा कर रहा है, किसे सुधार की जरूरत है, और कहां सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।

शिक्षा नहीं, अब यह एक आंदोलन है

नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के मुताबिक, शिक्षा का आकलन सिर्फ बोर्ड एग्ज़ाम या टॉपर्स से नहीं, बल्कि हर बच्चे की सीखने की प्रगति से होना चाहिए। और यह तभी संभव है जब हर स्कूल — चाहे वह सरकारी हो या निजी — डेटा-सिस्टम से जुड़ा हो। उत्तराखंड अब इसी दिशा में कदम बढ़ा चुका है। यह केवल नीतिगत बदलाव नहीं, एक शैक्षणिक क्रांति की ओर इशारा है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो न केवल पहाड़ों में पलायन रुकेगा, बल्कि उत्तराखंड शिक्षा के क्षेत्र में एक रोल मॉडल बनकर उभरेगा।

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