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सरकारी कर्मचारियों के लिए बुरी खबर, 49 लाख केंद्रीय कर्मियों और 67 लाख पेंशनरों को नहीं मिलेगा ये फायदा

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केंद्र सरकार के 49 लाख से अधिक कर्मचारियों और 67 लाख से ज्यादा पेंशनभोगियों के लिए बड़ा झटका। उनके मूल वेतन/पेंशन में 50% डीए/डीआर विलय नहीं किया जाएगा। राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने सरकार से यह सवाल किया था कि क्या आठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने से पहले डीए और डीआर को मूल वेतन में जोड़ा जाएगा। इस पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है।

महंगाई भत्ते का महत्व और संशोधन प्रक्रिया

डीए/डीआर, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाने और जीवन यापन की लागत को समायोजित करने के लिए दिया जाता है। औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) के आधार पर हर छह महीने में डीए/डीआर दर को संशोधित किया जाता है।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिश और मौजूदा स्थिति

सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार, जब डीए की दर 50% से अधिक हो जाती है, तो इसे मूल वेतन/पेंशन में मर्ज किया जाना चाहिए। वर्तमान में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों को 53% की दर से डीए/डीआर मिल रहा है।

जनवरी 2025 में संभावित वृद्धि

पहली जनवरी 2025 से डीए/डीआर में दो से तीन प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। केंद्रीय कैबिनेट इस संबंध में जल्द ही घोषणा कर सकती है।

विलय न होने का नुकसान

ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, डीए/डीआर के मूल वेतन में विलय न होने से कर्मचारियों को एक से डेढ़ प्रतिशत का वेतन नुकसान होगा। उदाहरण के लिए, यदि डीए को मूल वेतन में मर्ज किया जाता तो 18,000 रुपये के मूल वेतन वाले कर्मचारी को लगभग 270 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलता।

क्या कहता है कर्मचारी महासंघ?

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) के महासचिव एवं जेसीएम के सदस्य श्रीकुमार ने कहा कि जब डीए 50% से अधिक हो जाता है, तो उसे मूल वेतन में मर्ज किया जाना चाहिए। इससे न केवल वेतन में बढ़ोतरी होती, बल्कि अन्य भत्तों में भी वृद्धि होती।

सरकार की नीति और आगे की संभावनाएं

हालांकि, सरकार वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लेती है। फिलहाल, सरकार ने डीए/डीआर को मूल वेतन में मर्ज करने से इनकार कर दिया है, जिससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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