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बढ़ते तापमान से इन फसलों की पैदावार में आई भारी गिरावट! इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा...

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तेजी से बदलती जलवायु अब सिर्फ मौसम की चेतावनी नहीं रही – यह सीधे तौर पर हमारी थाली तक असर डाल रही है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन ने खुलासा किया है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि और सूखे की बढ़ती घटनाओं के चलते गेहूं, मक्का और जौ जैसी मुख्य खाद्य फसलों की पैदावार में चिंताजनक गिरावट आई है।इस शोध को प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका Proceedings of the National Academy of Sciences (PNAS) में प्रकाशित किया गया है। इसके निष्कर्ष वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर एक गंभीर खतरे का संकेत देते हैं।

कितनी घटी पैदावार?

  • गेहूं: औसतन 10% की कमी

  • मक्का: लगभग 4% की गिरावट

  • जौ: सबसे ज्यादा 13% तक घटोतरी

शोधकर्ताओं का कहना है कि तापमान वृद्धि और हवा में नमी की कमी जैसे कारक पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर रहे हैं। यह गिरावट इतनी बड़ी है कि कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़े स्तर से मिलने वाले संभावित लाभ भी दब गए हैं, जबकि सीओ₂ सामान्यतः प्रकाश संश्लेषण को बढ़ावा देता है।

आने वाले समय की चुनौती क्या है?

यह अध्ययन मार्च 2025 में आई एक रिपोर्ट की चेतावनी को दोहराता है जिसमें कहा गया था कि यदि जलवायु परिवर्तन से लड़ने में देरी हुई, तो अमेरिका जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की कृषि उत्पादकता में भी भारी गिरावट देखने को मिल सकती है।

मॉडल फेल, रणनीतियाँ असफल?

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि कई जलवायु मॉडल मौजूदा परिस्थितियों का सही पूर्वानुमान नहीं लगा पा रहे। उदाहरण के तौर पर:

  • किसानों ने सूखे से बचने के लिए देर से पकने वाली किस्में अपनाईं

  • लेकिन अब सूखे की घटनाएं इतनी तेजी से बढ़ रही हैं कि ये रणनीतियाँ भी असफल साबित हो रही हैं

रोजमर्रा की चीजें भी खतरे में

अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रो. डेविड लोबेल ने आगाह किया है कि यह खतरा सिर्फ मुख्य फसलों तक सीमित नहीं है। कॉफी, कोको, संतरा, जैतून जैसी फसलों की आपूर्ति में बाधा, उनकी कीमतों में तेजी और गुणवत्ता में गिरावट जैसे प्रभाव अब सीधे हमारी दिनचर्या पर असर डाल रहे हैं।

समाधान क्या हो सकता है?

  1. क्लाइमेट-रेजिलिएंट खेती को बढ़ावा

  2. स्मार्ट सिंचाई और जल प्रबंधन तकनीक

  3. फसल विविधता पर ज़ोर

  4. जलवायु निवेश और नीति निर्माण में तेजी

अब नहीं चेते तो थाली होगी खाली

वैश्विक तापमान का सीधा असर अब हमारे खेत, फसल और भोजन पर पड़ने लगा है। इस रिपोर्ट की चेतावनी स्पष्ट है – अगर अब भी हमने जलवायु परिवर्तन को हल्के में लिया, तो अगली मार सिर्फ पर्यावरण नहीं, हमारी खाद्य थाली पर पड़ेगी।

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