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कोरोना गया नहीं…लौट सकता है! WHO की चेतावनी पर भारत की टेंशन क्यों बढ़ी?

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी वैश्विक कोविड-19 टीकाकरण रिपोर्ट 2024 में एक गंभीर चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड बूस्टर डोज यानी एहतियात खुराक की रफ्तार में खतरनाक गिरावट आई है—और इसका सबसे अधिक असर भारत जैसे देशों पर पड़ सकता है, जहां संक्रमण की शुरुआत में टीकाकरण की दर दुनिया में सबसे तेज़ थी। WHO ने कहा कि 60 वर्ष से अधिक आयु वाले, पहले से बीमार और स्वास्थ्यकर्मी जैसे उच्च जोखिम समूह यदि बूस्टर डोज नहीं लेते हैं, तो वे आने वाले महीनों में कोरोना के फिर से शिकार हो सकते हैं।

भारत में गिरावट क्यों आई?

भारत में 2020 और 2021 में कोविड टीकाकरण ने रिकॉर्ड तोड़े—220 करोड़ से अधिक खुराकें दी गईं। लेकिन 2024 तक आते-आते बूस्टर डोज लेने की दर शहरी क्षेत्रों में केवल 40–45% और ग्रामीण क्षेत्रों में और भी कम रह गई है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी कई वजहें हैं:

  • संक्रमण के मामलों में गिरावट

  • युवाओं में यह धारणा कि वायरस अब खतरनाक नहीं

  • टीकाकरण अभियानों से थकान और उदासीनता

  • जागरूकता की कमी

डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा?

डब्ल्यूएचओ की तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वैन केरकोव ने कहा,

"महामारी शांत ज़रूर हुई है, लेकिन वायरस अभी भी सक्रिय है। बूस्टर डोज लेना अब भी उतना ही जरूरी है, खासकर उच्च जोखिम समूहों के लिए।"

उन्होंने चेताया कि 2025 में भी कोविड वैक्सीनेशन रणनीति को 'लक्षित और जोखिम आधारित' ही बनाए रखना होगा। मौसम बदलने के साथ संक्रमण की वापसी और नए वेरिएंट्स का खतरा बना हुआ है।

भारत की शुरुआती सफलता, लेकिन अब चिंता

भारत के टीकाकरण अभियान की शुरुआत विश्व में सबसे ऊंची कवरेज दर के साथ हुई थी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बूस्टर खुराक में ये गिरावट जारी रही, तो सामूहिक प्रतिरक्षा (herd immunity) खतरे में पड़ सकती है। ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार, अब समय है कि भारत एक बार फिर लक्षित जागरूकता अभियान शुरू करे, खासकर उन लोगों के लिए जिनका जोखिम सबसे ज्यादा है।

अब आगे क्या?

स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों को जल्द ही यह तय करना होगा कि क्या वे बूस्टर टीकाकरण के लिए नई रणनीति अपनाएं। सवाल ये है—क्या भारत समय रहते चेतावनी को गंभीरता से लेगा?

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