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16 साल बाद फिर से संसद में गरमाया नोटों की गड्डी का मामला, क्या है इस बार का सच?

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5 दिसंबर की सुबह संसद में हलचल का माहौल था, क्योंकि सत्र शुरू होने से पहले सुरक्षा जांच चल रही थी। यह एक नियमित प्रक्रिया थी, जिसमें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की एंटी-सबोटाज टीम संसद भवन की हर सीट की गहनता से जांच कर रही थी। इस जांच के दौरान, टीम ने राज्यसभा की सीट नंबर 222 के नीचे से एक गड्डी नोटों की बरामद की। यह सीट वर्तमान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। जैसे ही यह खबर फैली, संसद के गलियारों में तूफान मच गया।

राज्यसभा सभापति ने दी जानकारी-

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस गंभीर घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह मामला असाधारण और चिंताजनक है। हालांकि, संसद के अंदर नोट लाने के संबंध में कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं। सांसद अपनी आवश्यकता के अनुसार करेंसी लेकर आ सकते हैं, और इसका कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है। कई सांसद तो डिजिटल भुगतान के बजाय, सीधे बैंक से पैसे निकालकर संसद में लाते हैं।

सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस-

इस मामले के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। भाजपा के सांसद इसे सदन की गरिमा पर आघात मान रहे थे, जबकि कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जांच पूरी होने तक किसी भी सांसद का नाम सार्वजनिक न किए जाने की मांग की। कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी और निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने बताया कि वे 5 दिसंबर को महज 3-4 मिनट के लिए सदन में थे और इससे अधिक कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं की थी। फिर भी सत्ता पक्ष ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए इसकी कड़ी जांच की आवश्यकता जताई।

इतिहास में पहले भी हुए हैं ऐसे मामले-

यह पहली बार नहीं था जब संसद में नोटों की गड्डी का मामला सामने आया हो। वर्ष 2008 में, जब यूपीए सरकार ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के लिए विश्वास प्रस्ताव पेश किया था, तो बीजेपी के तीन सांसद लोकसभा में नोटों की गड्डियां लेकर पहुंचे थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उन्हें सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए रिश्वत दी थी। यह घटना संसद के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है।

संसदीय सुरक्षा में एंटी-सबोटाज टीम की भूमिका-

संसद की सुरक्षा में CISF की एंटी-सबोटाज टीम अहम भूमिका निभाती है। हर सुबह, संसद सत्र शुरू होने से पहले, इनकी टीम सदन की हर सीट की गहनता से जांच करती है। टीम के प्रशिक्षित खोजी कुत्ते भी संसद परिसर के हर कोने में संदिग्ध वस्तुओं का पता लगाने के लिए काम करते हैं। इस जांच का मुख्य उद्देश्य किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाना और सुरक्षा में चूक को रोकना है।

संसद की सुरक्षा: जिम्मेदारी और सख्ती की मांग-

मई 2024 से संसद की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी CISF को सौंप दी गई है। इससे पहले यह काम CRPF, दिल्ली पुलिस और संसद सुरक्षा सेवाओं की संयुक्त टीम करती थी। हालांकि, दिसंबर 2023 में हुई एक सुरक्षा चूक, जिसमें दो लोग लोकसभा की गैलरी से कूदकर पीले धुएं के कनस्तर छोड़ गए थे, ने सुरक्षा के मामले में बदलाव की आवश्यकता महसूस कराई। इसके बाद ही CISF को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।

क्या संसद की सुरक्षा को और मजबूत किया जाना चाहिए?

इस घटना ने संसद की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या हमें संसद की सुरक्षा को और मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों? यह घटना केवल एक नोट की गड्डी मिलने की नहीं है, बल्कि यह हमारे सुरक्षा तंत्र, प्रणाली और जिम्मेदारी पर भी बड़ा सवाल उठाती है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में सच्चाई जल्द सामने आएगी और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

संसद का अहम चेहरा: सुरक्षा और गरिमा-

संसद में हर गतिविधि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में संसद की सुरक्षा और उसकी गरिमा को बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उम्मीद की जा रही है कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और संसद का माहौल फिर से शांति और गरिमा से भर जाए।

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