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गोंडा

गोंडा जान बस्ती है हमारी इस शहर में यहां सब मिलता हैं,सिवाय नफरत के यहां सीधे-सादे लोगो का है डेरा, खुशहाली से भरा ये गोंडा मेरा हैं। वीरों का बस्ती जवानों का देश, जिला - गोंडा उत्तर प्रदेश। गोंडा जिला की ताकत से पुरा ब्रह्मांड डोलता हैं, ये हम नही हमारा इतिहास बोलता हैं। यहाँ सुबह दुखरन नाथ मंदिर से तो शाम चौक के चूड़ी गली से होकर गुज़रती है खाने के भी लोग यहां बहुत शौक़ीन हैं भरोसा नहीं होता तो कभी आनद का समोसा और दुर्गमा की लस्सी पीकर तो देखिये यहाँ यहां के बतासे और टिक्की में भी बड़ा स्वाद है एक बार खाओ तो बार बार आओ। गोंडा की गलियों का कुछ इतिहास ही पुराना है हमसे पूछो हमने इसे बहुत करीब से जाना है जितनी प्यारी बोली है उतना ही कड़क स्वभाव है अयोध्या के मध्य में स्थित गोनर्द भूमि पर विसेन क्षत्रिय राजा मान सिंह ने 400 साल पहले गोंडा नगर की स्थापना की थी। प्राचीन काल में यह कोसल राज्य और मुगल शासन में अवध सुबाह की बहराइच सरकार के अधीन था। 1856 में ब्रिटिश सरकार के आदेश से अवध शासक के नियंत्रण में आया तो एक विस्तृत भूभाग को बहराइच जिले से अलग करके गोंडा जिला बना दिया गया। तब बलरामपुर का क्षेत्र भी गोंडा का हिस्सा था और इसका विस्तार नेपाल तक था। अंग्रेजी शासन के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले विसेन वंश के अंतिम शासक महाराजा देवी बख्श सिंह की शौर्य गाथा आज भी लोगों में देश भक्ति का जज्बा पैदा कर रही है। मान्यता के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की यहां गायें चरा करती थीं, जिस कारण इसका नाम गोनर्द पड़ा। यही गोनर्द अपभ्रंश होकर गोण्डा बन गया। यहीं पर महात्मा गौतम बुद्द ने करीब 21 साल तक प्रवास किया था। ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें